BCCI ने यो-यो टेस्ट को किया अलविदा, अब ब्रोंको टेस्ट बनेगा भारतीय क्रिकेटरों की नई चुनौती!

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने एक अहम फैसला लिया है, जो टीम इंडिया के फिटनेस स्तर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने पुराने यो-यो टेस्ट को अब अलविदा कहने का मन बना लिया है,और उसकी जगह रग्बी से प्रेरित ब्रोंको टेस्ट को अपनाया जा रहा है। यह बदलाव भारतीय क्रिकेटरों की सहनशक्ति और एंड्योरेंस को और मजबूत बनाने के लिए उपयोगी साबित होगा।

यो-यो टेस्ट क्या है और क्यों था यह महत्वपूर्ण?

यो-यो टेस्ट भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों की फिटनेस को परखने का प्रमुख जरिया रहा है, जिसकी शुरुआत पूर्व कप्तान विराट कोहली के समय हुई थी। इस टेस्ट में खिलाड़ी दो पंक्तियां (cones या मार्कर) बीच 20 मीटर की दूरी पर दौड़ते हैं, जहां गति लगातार बढ़ती जाती है। प्रत्येक स्तर पर 10 सेकंड का रिकवरी टाइम मिलता है। न्यूनतम स्कोर 17.1 होना चाहिए, जो खिलाड़ी की एजिलिटी (चपलता) और रिकवरी क्षमता को मापता है।

यो-यो टेस्ट ने भारतीय टीम की फिटनेस संस्कृति को बदल दिया, लेकिन हाल के वर्षों में तेज गेंदबाजों की चोटों और सहनशक्ति की कमी के कारण बीसीसीआई को एक नए टेस्ट की जरूरत महसूस हुई। यो-यो टेस्ट मुख्य रूप से रिकवरी और एजिलिटी पर फोकस करता है, जबकि ब्रोंको टेस्ट सहनशक्ति पर जोर देता है।

ब्रोंको टेस्ट क्या है?

‘ब्रोंको टेस्ट’ मूल रूप से रग्बी जैसे खेलों के लिए डिजाइन किया गया एक हाई-इंटेंसिटी एरोबिक टेस्ट है। इसका मकसद खिलाड़ियों की सहनशक्ति, रफ्तार और कार्डियोवस्कुलर फिटनेस को परखना है।

इस टेस्ट में खिलाड़ियों को बिना रुके लगातार पांच सेट पूरे करने होते हैं। हर सेट में 20, 40 और 60 मीटर की शटल रन शामिल होती है। इसका मतलब है कि खिलाड़ी को 20 मीटर जाना और वापस आना (40 मीटर), 40 मीटर जाना और वापस आना (80 मीटर), और 60 मीटर जाना और वापस आना (120 मीटर) होता है। एक सेट कुल 240 मीटर का होता है, और ऐसे पांच सेट पूरे करने पर कुल 1200 मीटर की दूरी तय करनी होती है।

टीम इंडिया के लिए यह टेस्ट 6 मिनट के अंदर पूरा करना होगा। जो खिलाड़ी इस समय सीमा में इसे पूरा नहीं कर पाएगा, उसे अनफिट माना जाएगा।

कैसे अलग है ब्रोंको, टेस्ट यो-यो टेस्ट से? 

जहां यो-यो टेस्ट में खिलाड़ी को बढ़ती हुई गति के साथ लगातार दौड़ना होता है और बीच में 10 सेकंड का ब्रेक मिलता है, वहीं ब्रोंको टेस्ट में बिना किसी ब्रेक के लगातार दौड़ना होता है। यह टेस्ट खिलाड़ी के शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर कड़ी चुनौती पेश करता है। इसका उद्देश्य यह जांचना है कि क्या खिलाड़ी मैदान पर लंबे समय तक अपनी ऊर्जा और रफ्तार बनाए रख सकते हैं।

भारतीय खिलाड़ियों पर क्या पड़ेगा इसका असर?

यह नया टेस्ट स्टार प्लेयर्स के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। विराट कोहली, जो हमेशा फिटनेस के लिए जाने जाते हैं, शायद इसे आसानी से पास कर लेंगे, लेकिन कुछ युवा खिलाड़ी और सीनियर्स जैसे रोहित शर्मा,मोहमम्द शमी,जसप्रीत बुमराह को थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है,व इसे पास करने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

निष्कर्ष: भारतीय क्रिकेट में फिटनेस का नया युग

ब्रोंको टेस्ट की शुरुआत से बीसीसीआई ने साबित कर दिया है कि फिटनेस भारतीय क्रिकेट की प्राथमिकता है। यो-यो टेस्ट के साथ यह नया टेस्ट टीम को शारीरिक रूप से और अधिक मजबूत बनाएगा। यह टेस्ट यो-यो और 2 किमी टाइम ट्रायल के साथ मिलकर काम करेगा, लेकिन सूत्रों का कहना है कि धीरे-धीरे ब्रोंको मुख्य टेस्ट बन सकता है।

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